September 29, 2023

कुम्हार का प्रेम !

कुम्हार का प्रेम !

By शालिनी आदिवासी

देख कुमार ही प्रेम है कैसा,

 

पूछे क्यों माटी तुझसे ऐसा

.

रोज हाथों से तू मुझे सराय,

 

फिर क्यों मुझे कोई और ले जाए

.

घर-घर सबके रहमत हूं,

 

फिर भी तेरी कह बत हूं.

क्यों बेचे तू मुझको बोल,

 

हाथ नहीं अब मुख को खोल.

देव कुमार यह प्रेम है कैसा,

 

पूछे क्यों माटी तुझसे ऐसा

सुन माटी को कुम्हार बोला,

 

तुझसे मेरा प्रेम है गहरा.

मेरा सब तू ध्यान से सुन ले,

 

प्रेम की मोती फिर से चुन ले.

तू मुझसे मैं तुझसे माटी,

 

पर ना तू है जीवन साथी.

तू दिया पर मैना बातें,

 

प्रेम तो बस प्रेम से हो बे.

इसीलिए यह प्रेम है ऐसा!

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